tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post6968048781953908295..comments2024-01-16T01:05:13.385-08:00Comments on मुक्ताकाश....: यात्रा-कथा-काव्यआनन्द वर्धन ओझाhttp://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-84671026846275768702009-07-14T10:16:19.677-07:002009-07-14T10:16:19.677-07:00किसी मांगलिक अवसर पर
इन अधनंगे बच्चों के
भाग्य-द्व...किसी मांगलिक अवसर पर<br />इन अधनंगे बच्चों के<br />भाग्य-द्वार खुल जाते हैं!<br />जूठे पत्तलों पर बे-तरतीब हुई <br />भोज्य-सामग्री के<br />कुछ दाने उन्हें भी मिल जाते हैं !<br />पूरे मनोयोग से,<br />निःसंकोच भावः से,<br />वे पत्तलों की गहन छानबीन करते हैं,<br />व्यंजनों को अलग-अलग करीने से,<br />सहुजते-सम्हालते हैं<br />और खुशियाँ मनाते<br />अपने घर लौट जाते हैं !!<br /><br />बहुत ही मर्मस्पर्शी और एक चिंतन खडा करती रचना ......!!<br /><br />गरीबी और शिक्षा के आभाव में पल रहे ये बच्चे कल के भारत का निर्माण किस तरह कर पाएंगे .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-7897208958969972922009-07-12T13:32:56.183-07:002009-07-12T13:32:56.183-07:00ज्योतिजी,
'विलक्षण प्रतिदान' पर आपकी प्रति...ज्योतिजी,<br />'विलक्षण प्रतिदान' पर आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर प्रसन्न हुआ. यह कविता बिहार के जनपद में उपजी थी, जब मैं एक विवाह समारोह में शामिल होने बाराती बनकर गया था--सुदूर देहात में. तेलपा और खडासीन नाम प्रतीकात्मक और काल्पनिक नहीं, सचमुच के वज्र देहाती गाँव हैं ! जो देखा, वही किखा.<br />आभार सहित, आ.आनन्द वर्धन ओझाhttps://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-15505218693080312492009-07-12T13:21:29.882-07:002009-07-12T13:21:29.882-07:00वंदनाजी,
यह कविता भी आपको अच्छी लगी, अहोभाग्य ! ले...वंदनाजी,<br />यह कविता भी आपको अच्छी लगी, अहोभाग्य ! लेकिन पूरे संस्मरण पर आपकी टिपण्णी अभी तक प्रतीक्षित है.<br />आ.आनन्द वर्धन ओझाhttps://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-19604824703226431952009-07-12T04:23:59.106-07:002009-07-12T04:23:59.106-07:00अबोध बच्चे खुश हैं
उन्हें तो मिल गया है
प्रकृति की...अबोध बच्चे खुश हैं<br />उन्हें तो मिल गया है<br />प्रकृति की विपुल सम्पदा का<br />उच्छिष्ट अवदान !<br />वाह रे विधाता का --<br />विलक्षण प्रतिदान !!<br />marmsparshi aur saath hi sochane pe mazboor kar de .bahut hi sundar rachana hai aanand ji .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-44372205012274508412009-07-12T02:38:36.169-07:002009-07-12T02:38:36.169-07:00पीड़ित बच्चों के इस जश्न की
कुछ संभ्रांत लोग तस्वी...पीड़ित बच्चों के इस जश्न की<br />कुछ संभ्रांत लोग तस्वीरें उतारते हैं,<br />अपनी ही सामाजिक दशा<br />और वर्ग-वैषम्य की<br />नुमाइश लगते हैं !<br />कला के नाम पर व्यथा को भुनाते हैं<br />मर्मस्पर्शी रचना...बधाई.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.com