tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post7163309630740179575..comments2024-01-16T01:05:13.385-08:00Comments on मुक्ताकाश....: मेरी परलोक-चर्चाएँ... (३४)आनन्द वर्धन ओझाhttp://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-7784297774719044582016-01-07T03:33:19.793-08:002016-01-07T03:33:19.793-08:00परा जगत मे संपर्क साधन का कोई अनुभव तो नही पर &quo...परा जगत मे संपर्क साधन का कोई अनुभव तो नही पर "जीवात्मा जगत के नियम" पुस्तक की लेखिका के अनुसार सिर्फ सूर्योदय से सूर्यास्त के मध्य ही करना चाहिए, क्योंकि दिन मे शुभ आत्माएं आती हैं<br />बहरहाल आपकी कथा में यह मोड़ आएगा, उम्मीद नही थी. हमारे अंतर्मन मे परा जगत के लिय एक गहरा डर छुपा होता है जोकि सम्भवतः ईश्वर द्वारा प्रेरित होता है जिससे कि हम अकारण प्राकृतिक नियमों से छेड़छाड न करेंAnonymousnoreply@blogger.com