tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post7535141582845400844..comments2024-01-16T01:05:13.385-08:00Comments on मुक्ताकाश....: जियोगे तुम...आनन्द वर्धन ओझाhttp://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-71079769433070139332013-11-05T07:16:18.783-08:002013-11-05T07:16:18.783-08:00ज्योतिजी, आपने टिपण्णी न की होती तो यह कविता टिपण्...ज्योतिजी, आपने टिपण्णी न की होती तो यह कविता टिपण्णी-विहीन रह जाती.. आभार...!आनन्द वर्धन ओझाhttps://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-41631331712018631722013-10-24T09:56:12.326-07:002013-10-24T09:56:12.326-07:00तुम उन दीवारों के
झरते-गिरते ईंट-गारे में
दबोगे, प...तुम उन दीवारों के<br />झरते-गिरते ईंट-गारे में<br />दबोगे, पिसोगे फिर से;<br />लेकिन,<br />मेरी जिजीविषा में जियोगे,<br />उँगलियाँ मेरी छोड़कर भी<br />तुम 'मुक्त' नहीं होगे कवि !<br />अपनी अनन्त निद्रा में भी<br />मेरे साथ-साथ जागोगे,<br />तुम जियोगे कवि …!!<br />ati sundar ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.com