tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post8165816881605206923..comments2024-01-16T01:05:13.385-08:00Comments on मुक्ताकाश....: अँधेरी कोठरी के अकेले रौशनदान थे 'जयप्रकाश नारायण' आनन्द वर्धन ओझाhttp://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-82417861949360562422012-09-19T02:30:56.104-07:002012-09-19T02:30:56.104-07:00शास्त्रीजी,
संस्मरण आप पढ़ रहे हैं, मेरे लिए तो यह...शास्त्रीजी,<br />संस्मरण आप पढ़ रहे हैं, मेरे लिए तो यही संतोष का विषय है, यह आपको अच्छा भी लग रहा है, यह अतिरिक्त प्रसन्नता देता है.<br />सदर--अ. व. ओझा.आनन्द वर्धन ओझाhttps://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-84542116851524391432012-09-17T05:59:06.491-07:002012-09-17T05:59:06.491-07:00आपके इस आलेख को पढ़कर अपनी यादें भी ताजा हो गईं। आ...आपके इस आलेख को पढ़कर अपनी यादें भी ताजा हो गईं। आपात काल के समय हम बच्चे थे। कक्षा आठ में पढ़ रहे थे शायद। गलियों में जब जेपी आंदोलन का जुलूस निकलता तो इन्कलाब जिंदाबाद को तीन क्लास जिंदाबाद चीखते, जुलूस में शरीक हो जाते। समग्र क्रांति अब नारा है, हिंदोंस्तान हमारा है..जैसे कई नारे लगाते। भले से उसका अर्थ नहीं जानते लेकिन एक अजीब सा उन्मादी माहौल था यहाँ बनारस की गलियों में भी उन दिनो।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-50542860362742830752012-09-17T05:45:44.027-07:002012-09-17T05:45:44.027-07:00चारों किश्त पढ़ने का आज सैभाग्य मिला। दुर्लभ संस्म...चारों किश्त पढ़ने का आज सैभाग्य मिला। दुर्लभ संस्मरण तैयार हो रहा है। अगले अंक की प्रतीक्षा रहेगी।..आभार।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.com