tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post6659699209254799653..comments2024-01-16T01:05:13.385-08:00Comments on मुक्ताकाश....: शीर्षक-विहीन...आनन्द वर्धन ओझाhttp://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-10197671839127690952017-12-13T01:52:15.925-08:002017-12-13T01:52:15.925-08:00आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १... आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १९०० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ... <br /><br />ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2017/12/1956-love-story.html" rel="nofollow"> 1956 - A Love story - १९०० वीं ब्लॉग-बुलेटिन “ </a> , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !<br />ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-91609941197026327552017-12-12T20:59:06.745-08:002017-12-12T20:59:06.745-08:00कौन है जो पुकरता है मुझे
और आँखें खोलते ही हो जाता...कौन है जो पुकरता है मुझे<br />और आँखें खोलते ही हो जाता है विलुप्त<br />वह तुम नहीं हो सकते न?<br />तुम होते तो अंतर्धान क्यों होते?<br />इसी रहस्य को खोजने में मनुष्य कस्तूरीमृग बना भटकता है अक्सर...सुंदर रचना। सादर नमन।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.com