tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post6698544908648347258..comments2024-01-16T01:05:13.385-08:00Comments on मुक्ताकाश....: परती पर परिकथा लिखनेवाले शिल्पी : 'रेणु'आनन्द वर्धन ओझाhttp://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-42011367812443674742010-06-11T03:32:21.132-07:002010-06-11T03:32:21.132-07:00हूँ....तो काफी शरारती थे बचपन में आप .....और उदंड ...हूँ....तो काफी शरारती थे बचपन में आप .....और उदंड भी ....!!<br /><br />अच्छी लगीं बचपन की यादें ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-56068743499593906812010-05-31T11:19:27.236-07:002010-05-31T11:19:27.236-07:00एक सांस में पढ गई पूरा संस्मरण. दो दिन से ये शीर्ष...एक सांस में पढ गई पूरा संस्मरण. दो दिन से ये शीर्षक चिट्ठाजगत पर चमक रहा है, आज जाकर पोस्ट मिली. मेरी तरह आपके अन्य पाठक भी हैरान थे.... बहुत ही रोचक शैली में लिखा हुआ संस्मरण. हमेशा की तरह अविस्मरणीय. तस्वीर की ही तरह दुर्लभ भी. आभार.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.com