tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post8288552738142765350..comments2024-01-16T01:05:13.385-08:00Comments on मुक्ताकाश....: आकाश की शिल्प-सृष्टि...आनन्द वर्धन ओझाhttp://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-74519682301107342932009-08-10T23:43:06.147-07:002009-08-10T23:43:06.147-07:00आदरणीय आनन्दवर्धन जी,
राजस्थान के भू-भागों का जिस...आदरणीय आनन्दवर्धन जी,<br /><br />राजस्थान के भू-भागों का जिस खूबसूरती से वर्णन किया है मानो सजीव हो उठा हो आँखों के सामने कुछ वैसा ही जैसा श्री जसदेव सिँह जी के आँखों-देखा हाल के बारे में कहा जाता है कि सुननेवाला वहां पहुँच ही जाता है विदेह।<br /><br />शब्द संयोजन और भाव मिश्रण आपके रचनाधर्म की ख्हशियत है और इसी परंपरा का निर्वाह बड़ी खूबसूरती से किया है।<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-46842838701522001732009-08-10T11:21:11.059-07:002009-08-10T11:21:11.059-07:00rajsthan se mujhe lagao aur prem dono hai.yahi zin...rajsthan se mujhe lagao aur prem dono hai.yahi zindagi ke aham safar tay huye .isse judi har cheez priye hai .sundar rachana .kishore ji ke anubhav se main bhi guzar rahi hoon .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-34041217332833558972009-08-10T10:04:34.003-07:002009-08-10T10:04:34.003-07:00आपने जिस जमीन का जिक्र किया है उसी पर मेरा जन्म हु...आपने जिस जमीन का जिक्र किया है उसी पर मेरा जन्म हुआ है आपका बालोतरा कब आना हुआ ? अगर आप इससे सौ किलोमीटर और आगे आते तो शायद हमारा भी सौभाग्य जाग जाता. वैसे तचना जबरदस्त इसलिए भी लग रही कि मैं वो सब महसूस कर रहा हूँ जो आपने अपने शब्दों में ढाला है.खूबसूरत !!के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5773464208897631664.post-81664115763805237832009-08-10T07:38:28.290-07:002009-08-10T07:38:28.290-07:00और मेरे असीम विस्तार में
बिछी हुई
यह सम्पूर्ण सृष्...और मेरे असीम विस्तार में<br />बिछी हुई<br />यह सम्पूर्ण सृष्टि मेरी है !!''<br /><br />भाई आनन्द वर्धन ओझा जी।<br />इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए<br />बधाई।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com