कद्दावर सवालों के जवाब
मेरे मन में,आपके मन में,
सब के मन में
उठते हैं सवाल,
हर सवाल की अलग-अलग
होती है उम्र।
कभी-कभी मर के भी
जी उठते हैं सवाल,
बुझ-बुझ के रौशन
होते हैं सवाल,
जरूरी नहीं कि
हर सवाल बदशक्ल ही हो,
तुर्श या तल्ख़ हो!
कुछ सवाल बहुत निजी
होते हैं नितांत व्यक्तिगत--
ऐसे सवालों को मन के एकांत में
पालने का होता है
अतिरिक्त सुख,
खोजना नहीं चाहता मन
ऐसे सवालों का हल!
बहुत-से सवालों की भीड़ में
किसी एक सवाल कद
बहुत बड़ा हो सकता है,
मगर यह लाजमी नहीं कि
पहले उसीसे की जाए हाथापाई,
उसीको निबटाया-तराशा जाए,
कोई बहुत नन्हा-सा,
अदना-सा सवाल भी
अहम् हो सकता है।
ऐसे छोटे-नन्हे सवाल
पहले हल किए जायें--
ऐसी मजबूरी भी हो सकती है,
हो सकती है सबसे पहले
उसीसे हाथापाई!
सम्भव है,
बहुत सम्भव है,
उस नन्हे-से सवाल का हल ही
कई एक कद्दावर सवालों का
छोटा-सा जवाब हो!!
6 टिप्पणियां:
आनन्द वर्धन ओझा जी
कद्दावर सवालों के जवाब
कविता अपने आप में अनूठी है।
बधाई।
शब्द पुष्टिकरण हटा दें।
कोई बहुत नन्हा-सा,
अदना-सा सवाल भी
अहम् हो सकता है।
ऐसे छोटे-नन्हे सवाल
पहले हल किए जायें--
अद्भुत... श्ब्दों से खेलना कोई आप से सीखे..बधाई, सुन्दर-सटीक रचना के लिये.
पुन:-
श्ब्द-पुष्टिकरण हटा लेंगे तो टिप्पणीकारों को सुविधा होगी.यदि आप चाहें तो.
आनंद वर्धन जी ,
एक नन्हे-से सवाल का हल ही कई एक कद्दावर सवालों का छोटा-सा जवाब हो सकता है ....वाह क्या बात कही है आपने ....!!
उम्मीद है आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा .....!!
प्रणाम ओझा जी ,
गीत और कविताओं पर सरसरी दृष्टि डाल चुका हूँ, इनके लिए कुछ लिखना सहज ना होगा इस लिए पूरे एक दिन के प्रबंध में लगा हूँ. आह और वाह के खेल से इनका स्तर बहुत ऊपर है.
मैं शीघ्र उपस्थित होता हूँ और हरकीरत जी ने सही कहा है आपसे सीखने को मिलेगा.
माननीय शास्त्रीजी,
आपकी बधाई सर आँखों पर. किंचित विलंब से लिख रहा हूँ. 'कद्दावर सवालों के...' कविता आपको अच्छी लगी, आभारी हूँ. आपकी रचनाएँ और ब्लॉग देख चुका हूँ. अभी थोड़ी भाग-दौड़ में हूँ. कभी विस्तार से लिखूंगा. अभी इतना ही कि बाल साहित्य की आपकी चिंता श्लाघनीय है. सप्रनाम ...
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