[होली बोली दबी जुबां से...]
टेसू और पलाश में वो टहक न रही,
रंगे-अबीर में वो मोहिनी महक न रही !
जिस रंग से रौशन था मन का आईना,
उस नूर में वो पहले-सी चमक न रही !!
होली है तो झूमेंगे, नाचेंगे, गायेंगे,
जाकर बाज़ार से रंगो-गुलाल लायेंगे !
रँग दोगे मुझको तुम, तुमको रंगेंगे हम,
रंगों में भी बे-रंग हम नज़र आयेंगे !!
बचा सको तो बचा लो दामन यारों,
निगाहें पाक रखो, रंग लो ये तन यारों !
जिस्म बेदार न हो, फिक्र को सुकून मिले,
कोई रंग ऐसा मेरी रूह पे डालो यारों !!
{मैं कहता हूँ गला खोलकर -- "होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं !"}
12 टिप्पणियां:
बचा सको तो बचा लो दामन यारों,
निगाहें पाक रखो, रंग लो ये तन यारों !
जिस्म बेदार न हो, फिक्र को सुकून मिले,
कोई रंग ऐसा मेरी रूह पे डालो यारों !!
laazwaab ,ye rang to bha gaya ,
aanand ji namaskaar
aapko holi ke pavan parv par dhero badhaiyaa
"जिस्म बेदार न हो, फिक्र को सुकून मिले,
कोई रंग ऐसा मेरी रूह पे डालो यारों !!"
अद्भुत रंग ! राम करें यही रंग सब पर चढ़ जाय !
"आपको भी होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं !"
निगाहें पाक रखो, रंग लो ये तन यारों !
जिस्म बेदार न हो, फिक्र को सुकून मिले,
कोई रंग ऐसा मेरी रूह पे डालो यारों !!
....बहुत सुंदर पक्तियां हैं.
लेकिन मीरा इन सब चक्करों में नहीं पडतीं..सीधे कहती हैं...मोहे श्याम रंग रंग दे...
आपको तथा आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ.nice
बढ़िया!
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
waah ..........bahut sundar jazbaat.
happy holi.
आनंद भैया ,
बचा सको तो बचा लो दामन यारों,
निगाहें पाक रखो, रंग लो ये तन यारों !
जिस्म बेदार न हो, फिक्र को सुकून मिले,
कोई रंग ऐसा मेरी रूह पे डालो यारों !!
बहुत सुंदर सच रूह को सुकून दे गई ये पंक्तियां
होली की शुभ कामनाएं स्वीकार करें
रँग दोगे मुझको तुम, तुमको रंगेंगे हम,
रंगों में भी बे-रंग हम नज़र आयेंगे !!
बहुत सुन्दर...लगभग चमत्कृत करती है ये रचना. होली की असीम अनन्त शुभकामनायें, आशीर्वाद की इच्छा सहित-
आदरणीय ओझा जी..उम्मीद है कि आपकी ’बेरंग’ नजर आने की अपेक्षा के विपरीत होली के शरीर रंगों ने आपके दिल-ओ-दिमाग को तर-बतर करने मे कोई कसर नही छोड़ी होगी...
रूह को रंग डालने के इसी ख्वाहिश को कोरस देते हुए आपकी रंगों के पर्व पर ढ़ेर सारी मीठी शुभकामनाएं...
जिस्म बेदार न हो, फिक्र को सुकून मिले...
जाने कैसा खयाल है कि दिल तक उतरता जाता है.
समय बदल गया है भाई।
आप सबों के स्नेह और संवाद से कुछ रंगीले छींटे तो रूह पर पड़ ही गए आखिरश ! बहुत आभारी हूँ !
सप्रीत--आ.
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