होना क्या ज़रूरी है ?
चेतना के शब्द लिखने के लिए
अचेत होना पड़ता है ।
अचेत होने के लिए
होना क्या ज़रूरी है ?
कोरी किताब
दावात ने लिखना शुरू किया,
कलम स्याही देती रही,
पुस्तक के पृष्ठों पर
अक्षर
उगे ही नहीं ।
फुर्र से...
मेरी शाख पर बैठे
कुछ परिंदे;
उन्होंने बातें कीं,
चोंच लड़ाई,
मुंह से मुंह में दाने बदले
मैंने जब उनसे कहा--
मेरी टहनी थामे रहना
कसकर--
आँधियों का अंदेशा है;
वे उड़ गए
फुर्र-से....!